भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिन की बैठक के बाद अपना फैसला सुना दिया है. वैसे तो आरबीआई ने पॉलिसी रेट में बढ़ोतरी नहीं की है. लेकिन, बैंकों के सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) को महामारी के पहले के स्तर जितना बढ़ाने के लिए कहा है. इसका मतलब यह हुआ कि बैंकों के पास लिक्विडिटी घटेगी. ऐसे में उन पर ब्याज दरों को बढ़ाने का दबाव रहेगा. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि इस कदम से बैंकों के पास कर्ज देने के लिए हाथ में कम फंड बचेंगे. इस तरह वे लोन पर ब्याज दरें बढ़ाएंगे. लेकिन शर्त यह है कि उन्हें कर्ज लेने वालों से मजबूत मांग दिखाई दे.
क्या है RBI का फैसला
आरबीआई ने ऐलान किया है कि वह अगले चार महीनों में सीआरआर को 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी करने की तैयारी है. सीआरआर में यह बढ़ोतरी दो चरणों में होगी.
पहले चरण में सीआरआर बढ़कर 27 मार्च, 2021 में बढ़ाकर 3.5 फीसदी किया जाएगा. दूसरे चरण में 22 मई 2021 को यह रेट बढ़कर 4 फीसदी हो जाएगा.
आपको बता दें कि फरवरी 2013 से जनवरी 2020 के बीच सीआरआर 4 फीसदी के स्तर पर रहा है. रिजर्व बैंक अब इस स्तर को दोबारा फिर से इस स्तर पर लाना चाहता है.
क्या होता है सीआरआर
भारत में चल रहे बैंकों के लिए कुछ नियम बनाए गए हैं. ये नियम आरबीआई ने बनाए हैं. इन नियमों के तहत देश के सरकारी और प्राइवेट बैंकों को आरबीआई के पास अपनी पूंजी में से कुछ हिस्सा रखना होता है. इसे कैश रिजर्व रेश्यो यानी नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) कहते हैं.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि आरबीआई ने ये नियम इसलिए बनाए हैं, जिससे किसी भी बैंक में बहुत बड़ी संख्या में ग्राहकों को रकम निकालने की जरूरत पड़े तो बैंक पैसे देने से मना न कर सके.
अगर आरबीआई सीआरआर बढ़ता है तो बैंकों को अपनी पूंजी का बड़ा हिस्सा भारतीय रिजर्व बैंक के पास रखना होता है. इसके बाद देश में कामकाज कर रहे बैंकों के पास ग्राहकों को कर्ज देने के लिए कम रकम रह जाती है.
अगर रिजर्व बैंक सीआरआर को घटाता है तो मार्केट में लिक्वडिटी बढ़ जाती है. आरबीआई सीआरआर में बदलाव तभी करता है, जब बाज़ार में लिक्विडिटी को जल्दी बढ़ाना होता है. ज्यादा लिक्विडिटी से देश में महंगाई बढ़ने लगती है. इसीलिए आरबीआई इसको एक टूल की तरह इस्तेमाल करता है.
एफडी कराने वालों पर होगा सीधा असर
भारतीय रिजर्व बैंक ने पॉलिसी समीक्षा के बाद आने वाले दिनों में ब्याज दरें बढ़ने के संकेत दिए हैं. यह लोन लेने वालों के लिए टेंशन बढ़ा सकती है. लेकिन फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी में पैसा लगाने वालों के लिए अच्छी खबर है. क्योंकि बीते कुछ महीनों से फिक्स्ड डिपॉजिट पर लगातार ब्याज दरें घट रही है.
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दरें घटने से सबसे ज्यादा नुकसान सीनियर सिटीजन को होता है. क्योंकि ये अपने रोजमर्रा के खर्चों के लिए इस ब्याज पर निर्भर करते हैं.
बढ़ सकती है होम, ऑटो और पर्सनल लोन की दरें
एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल ने TV9हिंदी को बताया कि आने वाले दिनों में सीआरआर (कैश रिजर्व रेशियो) बढ़ता है तो उससे बैंकों के लिक्विडिटी यानी फंड्स की कमी होगी. ऐसे में बैंक आगे चलकर होम, ऑटो, पर्सनल, एजुकेशन लोन पर ब्याज बढ़ा सकते है.